‘व्हाट्सएप पर स्टेटस पर हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पाकिस्तान’जैसा स्टेटस डालने वाले एक प्रोफेसर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने न केवल भर्त्सना की बल्कि प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया। इस प्रोफेसर का नाम जावेद अहमद हाजम है। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर प्रोफेसर ने अपने 13 अगस्त 2022 से लेकर 15 अगस्त 2022 के बीच व्हाट्सएप ग्रुप पर स्टेटस डाले थे कि ‘5 अगस्त काला दिवस जम्मू एंड कश्मीर, अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया, हम खुश नहीं हैं और 14 अगस्त हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पाकिस्तान।’
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसबी शुकरे और जसिट्सि एमएम साथाये की बेंच ने कहा कि प्रोफेसर जावेद की पोस्ट से राष्ट्रीय गरिमा को नुकसान हुआ है।
प्रोफेसर जावेद अहमद के खिलाफ महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के हटकनंगले पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए के तहत दुश्मन का प्रचार करने के लिए दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी। प्रोफेसर जावेद ने इस एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका डाली थी। जावेद अहमद मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले का रहने वाला है और वो कोल्हापुर के एक कॉलेज में प्रोफेसर था।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आलोचना की जानी है, तो यह स्थिति के सभी पेशेवरों और विपक्षों के मूल्यांकन और तर्क के आधार पर होनी चाहिए। इसमें भी कोई संदेह नहीं है, भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां अनुच्छेद 19 के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की प्रकृति में एक मौलिक अधिकार है, आलोचना का हर शब्द और असहमति का हर विचार लोकतंत्र को अच्छी स्थिति में बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, कम से कम संवेदनशील मामलों में कोई भी आलोचनात्मक शब्द या असहमतिपूर्ण विचार पूरी स्थिति के उचित विश्लेषण के बाद व्यक्त किया जाना चाहिए और उन कारणों को प्रदान करना चाहिए जिनके लिए आलोचना या असहमति की जाती है।”