राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को जमानत दे दी है। कोर्ट में पैरोकार की तरफ से झूठे दस्तावेज पेश करने के मामले में आरोपी का यह जमानत दी गई है। हालांकि आसाराम के अन्य मामलों में सजा के चलते फिलहाल जेल से बाहर आने की उम्मीद नहीं है। हाईकोर्ट जस्टिस कुलदीप माथुर की कोर्ट से यह जमानत मिली है। अधिवक्ता नीलकमल बोहरा और गोकुलेश बोहरा ने अदालत में आसाराम का पक्ष रखा था।
आसाराम को दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। गांधीनगर (गुजरात) की एक अदालत ने इसी साल दुष्कर्म के मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दुष्कर्म का यह मामला आसाराम के खिलाफ साल 2013 में दर्ज हुआ था। हालांकि, पीड़िता के साथ दुष्कर्म 2001 से 2006 के बीच हुआ था। पीड़िता की बहन ने ही आसाराम के बेटे नारायण साईं के खिलाफ भी दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। इस मामले में नारायण साईं को अप्रैल 2019 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
अभी जिस मामले में आसाराम को सजा सुनाई गई है, उसकी एफआईआर 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई थी। एफआईआर के मुताबिक, पीड़ित महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म हुआ था।
पीड़ित महिला ने इस मामले में आसाराम और सात अन्य लोगों के खिलाफ दुष्कर्म और अवैध तरीके से बंधक बनाने का मामला दर्ज करवाया था। इस मामले में आसाराम के अलावा उसकी पत्नी लक्ष्मी और बेटी भारती को भी आरोपी बनाया गया था।
हालांकि, सेशन कोर्ट के जज डीके सोनी ने इस मामले में सिर्फ आसाराम को ही दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। बाकी 6 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। जबकि, ट्रायल के दौरान ही अक्टूबर 2013 में एक आरोपी की मौत हो गई थी।