केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्यों ने सामूहिक अभ्यास और हथियार प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए तिरुवनंतपुरम में श्री सरकारा देवी मंदिर पर अवैध रूप से उपयोग किया है।
मंदिर के दो भक्तों और मंदिर के आस-पास के निवासियों द्वारा प्रस्तुत याचिका के अनुसार, आरएसएस सदस्यों के कथित कार्यों से भक्तों और तीर्थयात्रियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को परेशानी हुई है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि प्रतिवादी संबंधित अधिकारियों की अनुमति के बिना मंदिर परिसर के भीतर अनधिकृत गतिविधियों में शामिल हैं। उनका दावा है कि आरएसएस और संगठन के अन्य व्यक्ति मंदिर के भीतर तम्बाकू उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं, जो पवित्र स्थान की स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता को प्रभावित कर रहा है। याचिका में कहा गया है, “आरएसएस के सदस्यों द्वारा उपरोक्त उत्पादों के उपयोग से निकलने वाली अप्रिय गंध से मंदिर आने वाले भक्तों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को बहुत असुविधा हो रही है।”
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि प्रतिवादी अपने सामूहिक अभ्यास और हथियारों के प्रशिक्षण के दौरान जोर-जोर से नारे लगाकर मंदिर के शांतिपूर्ण और निर्मल वातावरण को बाधित करते हैं।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि देवस्वोम कमिश्नर ने 30 मार्च, 2021 को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें सभी संबंधित बोर्ड अधिकारियों को बड़े पैमाने पर अभ्यास और हथियार प्रशिक्षण के लिए मंदिर परिसर के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादी अधिकारियों को जवाबदेहठहराया जाए इसके परिसर का उपयोग पूरी तरह से धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाए और पूजा के उनके अधिकार की रक्षा के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी.जी. अजित कुमार केरेंगे।