प.बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव से जुड़ी हिंसा के एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य में चुनाव के समय हो रही हिंसा पर नाराजगी जाहिर की।
बंगाल राज्य की विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और सीपीआईओं ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि कुछ उम्मीदवारों के नाम कैंडिडेट्स की लिस्ट से गायब हो गए हैं। इसपर बुधवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई की और सीबीआई जांच के आदेश दिए गए।
हाईकोर्ट में जस्टिस अमृता सिन्हा ने यह फैसला दिया। जस्टिस अमृता सिन्हा ने पंचायत चुनाव की हिंसा पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में इतनी हिंसा देखी गई है। अगर ऐसा ही रक्तपात चलता रहा तो चुनाव को रोक देना चाहिए।
जज ने आगे कहा, ‘ऐसी हिंसा राज्य के लिए शर्म की बात है। इतनी अव्यवस्था क्यों, राज्य चुनाव आयोग क्या कर रहा है?’
हाईकोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट भी बंगाल पंचायत चुनाव की हिंसा पर सख्त टिप्पणी कर चुका है। दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 15 जून को आदेश दिया था कि पंचायत चुनाव के दौरान राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी। इसके खिलाफ बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज करके ममता सरकार को झटका दिया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था, ‘चुनाव करवाना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता। अगर लोग नॉमिनेशन भरने नहीं जा पा रहे या उम्मीदवारों के समर्थक आपस में भिड़ रहे हैं तो यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कैसे हुआ।‘ SC ने कहा था कि HC का आदेश स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है।
पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने हैं। इससे पहले 15 जून तक चुनाव के नॉमिनेशन होने थे, इस दौरान कई बार हिंसा हुई और कुछ लोगों की जान भी गई। इसी तरह 2018 में पंचायत चुनाव के दौरान राज्य में 20 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।