उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य सरकार को आठ सप्ताह के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। ।
मुख्य न्यायाधीश विपिन संघी और न्यायाधीश राकेश थपलियाल की बेंच ने भ्रष्टाचार नियंत्रण निकाय के कार्यालय पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी के मामले पर गंभीर असंतुष्टि व्यक्त की।
उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा है कि वह आठ सप्ताह के भीतर एक लोकायुक्त की नियुक्ति करें और संस्थान को सक्रिय करें।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि लोकायुक्त कार्यालय में प्रस्तुति रिपोर्ट के सबमिशन तक सभी खर्चों को रोक दें।
उच्च न्यायालय ने यह आदेश हल्द्वानी (गौलापार) निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर जोशी द्वारा एक सार्वजनिक हित याचिका (पीआईएल) के ज़रिये आया। इस याचिका में की सुनवाई करते हुए दिया। पीआईएल पर अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
लोकायुक्त की नियुक्ति की आवश्यकता को बताते हुए, याचिका ने कहा कि राज्य में सभी जांच एजेंसियां वर्तमान में सरकार के नियंत्रण में हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उत्तराखंड में कोई जांच एजेंसी सरकार की पूर्व अनुमति के बिना अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार मामला दर्ज करने या किसी अदालत में जांच के बाद चार्जशीट दाखिल करने का अधिकार प्राप्त नहीं है।