लंच-डिनर और ब्रेक फास्ट परोसने वाले रेस्टोरेंट्स को हुक्का बार चलाने का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। यह फैसला मुंबई हाईकोर्ट ने किया है। मुंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे साधारण तौर पर रेस्टोरेंट्स में परिवार लंच-डिनर के लिए आते हैं। जिन्हें हुक्के का धुंआ से चिढ़ या परेशानी हो सकती है।
बंबई हाईकोर्ट ने हर्बल हुक्का परोसने वाले रेस्टोरेंट्स को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि इसमें हुक्का या हर्बल हुक्का परोसने की अनुमति स्वत: शामिल नहीं है। न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरएन लड्डा की खंडपीठ ने कहा कि हुक्का उस रेस्तरां में परोसी जाने वाली वस्तुओं में शामिल नहीं किया जा सकता, जहां बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग जलपान या भोजन के लिए जाते हैं।
हाईकोर्ट में रेस्टोरेंट्स को हुक्का बार के लिए रियायत की मांग वाली याचिका सायली पारखी की ने दायर की थी। जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा पारित 18 अप्रैल, 2023 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि अगर हुक्का/हर्बल हुक्का परोसने का सिलसिला जारी रहता है तो उसके रेस्तरां ‘द ऑरेंज मिंट’ को दिया गया भोजनालय का लायसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। नगरीय निकाय का दावा था कि रेस्तरां हर्बल हुक्का गतिविधि के लिए लौ या जले हुए चारकोल का उपयोग कर रहा था, जो सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में और ग्राहकों की जान जोखिम में डाल रहा था।
अदालत ने बीएमसी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि रेस्तरां को हुक्का गतिविधियां संचालित करने से रोकने का आदेश बिल्कुल सही है। अदालत ने कहा, ‘एक बार जब यह स्पष्ट हो जाता है कि हुक्का गतिविधियां भोजनालय लायसेंस की शर्तों का हिस्सा नहीं हैं, तो ऐसी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती है।