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मराठा आरक्षण: कुनबी जाति प्रमाणपत्र के खिलाफ बॉम्बे HC में जनहित याचिका दायर

Maratha Reservation, Bombay High Court

राज्य में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है।

‘ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन’ के स्वयंभू अध्यक्ष मंगेश ससाने द्वारा 30 जनवरी को दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र देने की राज्य सरकार की कार्रवाई अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण का अतिक्रमण है।

हाई कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, अदालत 6 फरवरी को याचिका पर सुनवाई करेगी।

याचिका में 2004 से जारी पांच सरकारी प्रस्तावों पर सवाल उठाया गया है, जिसमें मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है।

याचिकाकर्ता के वकील आशीष मिश्रा का दावा है कि मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया समय के साथ विभिन्न विरोधों के कारण अधिक उदार हो गई है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से उनके आरक्षण को सुविधाजनक बनाना है।

याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठों को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को असंवैधानिक माना। श्री मिश्रा का तर्क है कि मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने और आरक्षण का लाभ उठाने की अनुमति देकर, सरकार उन्हें पिछले दरवाजे से प्रवेश प्रदान कर रही है।

20 जनवरी को, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी कोटा लाभ प्राप्त करने के लिए सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र की मांग करते हुए, जालना में अंतरवाली सारथी से मुंबई तक एक मार्च शुरू किया।

राज्य सरकार ने हाल ही में एक मसौदा अधिसूचना जारी की है जिसमें कहा गया है कि मराठा व्यक्ति के रक्त संबंधी, जो कुनबी समुदाय से संबद्धता साबित कर सकते हैं, उन्हें भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी। कृषि समुदाय के रूप में वर्गीकृत कुनबी, ओबीसी श्रेणी में आता है।

अगस्त से मराठों के लिए आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जारांगे सभी मराठों को आरक्षित कोटा से लाभान्वित करने के लिए कुनबी प्रमाणपत्र की वकालत कर रहे हैं।

सरकार की अधिसूचना के बाद, कार्यकर्ता ने मुंबई तक अपना मार्च रद्द कर दिया। सरकार ने अधिसूचना पर 16 फरवरी तक सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं.

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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