बिहार सरकार को पटना हाई कोर्ट से राहत: जातीय गणना पर कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार किया
पटना हाई कोर्ट से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिल गई है। हाई कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित गणना के दूसरे चरण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जातीय गणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल को ही शुरू हुआ है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने जाति आधारित गणना के खिलाफ दाखिल
याचिकाओं पर सुनवाई की।
दरअसल, राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की इसी साल सात मार्च को जारी अधिसूचना रद्द करने को लगभग आधा दर्जन याचिकाएं पटना हाई कोर्ट में दायर की गई हैं। राज्य सरकार के वकील ने अदलात में कहा कि अर्जी में आरोप लगाया गया है कि आकस्मिक निधि से 500 करोड़ निकाला गया है, जो पूरी तरह से निराधार है।
वही याचिकाकर्ता को वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि सरकार नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार में दखल दे रही है। कोई नागरिक जाति का खुलासा नहीं करना चाहता है तो भी उसकी जाति की जानकारी सभी को हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
हालांकि कई वकीलों ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने का अनुरोध कोर्ट से किया। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस केस में किसी तरह का अंतरिम आदेश नहीं दिया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने सभी मामलों पर चार मई को सुनवाई करने का आदेश दिया।