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तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सेंसर बोर्ड को दिए फिल्म ‘व्यूहम’ की समीक्षा के आदेश

Vyuham, Telangana

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने टीडीपी की लिखित याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि फिल्म निर्माताओं के पास व्यक्तियों या राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का अनियंत्रित अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सुरेपल्ली नंदा की पीठ ने तेलुगु फिल्म ‘व्यूहम’ के लिए जारी सेंसर प्रमाणपत्र के खिलाफ एक लिखित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने यह आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि फिल्म पार्टी और उसके नेताओं के प्रति अपमानजनक है।

अदालत ने इस दावे से सहमति जताई और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को अपने फैसले की समीक्षा करने का निर्देश दिया। इस बात पर जोर देते हुए कि फिल्म निर्माताओं के पास व्यक्तियों, राजनीतिक दलों या संस्थानों की छवि को धूमिल करने का अनियंत्रित अधिकार नहीं है।

फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि जीवन के अधिकार में निहित प्रतिष्ठा को दूसरों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बलिदान नहीं किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति नंदा ने आगे रेखांकित किया कि किसी की प्रतिष्ठा को बनाए रखने का अधिकार पूरी दुनिया के खिलाफ एक मान्यता प्राप्त अधिकार है। अदालत का यह फैसला फिल्म के प्रमाणन के खिलाफ तेलुगु देशम पार्टी द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया, जिसमें फिल्म निर्माता पर मानहानि का आरोप लगाया गया था।

अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि एक राजनीतिक दल मानहानि का दावा नहीं कर सकता, यह कहते हुए कि राजनीतिक दलों को संवैधानिक मान्यता के साथ विशिष्ट संस्थाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसमें पाया गया कि सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति ने नियामक संस्था की कार्यप्रणाली पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए ‘यू’ प्रमाणपत्र जारी करने का कारण बताए बिना फिल्म को मंजूरी दे दी थी। अदालत ने फिल्म की पर्याप्त समीक्षा करने में सीबीएफसी की विफलता की आलोचना की, जिसे जांच समिति ने अपमानजनक माना।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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