गुजरात मोरबी पूल हादसे मामले में जांच रही SIT की रिपोर्ट से एक बड़ा खुलासा हुआ है। सोमवार को गुजरात हाई कोर्ट ने SIT की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा की मोरबी पुल की मरम्मत का काम एक अक्षम एजेंसी को दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की खंडपीठ ने SIT रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पुल को बिना सुरक्षा जांच किये जनता के लिए खोल दिया गया था।
हाईकोर्ट ने कहा समिति की रिपोर्ट से पता चलता की मुख्य ब्रिज सात तारों से बना था जिनमें सात स्टील के तार थे इस तरह कुल 49 तारों का इस्तेमाल किया गया था। 22 से अधिक तार जंग खा चुके थे और 27 तारे हाल ही में टूट गए थे। यह भी बताता है कि पुल खोलने से पहले कोई भार परीक्षण नहीं किया गया था। यहां तक कि पुल की आवाजाही को भी नियंत्रित नही किया गया था और पुल की डिजाइन में कई गलतियां थी जिसकी वजह से पूल गिर गया।
गुजरात हाई कोर्ट ने मोरबी पुल हादसे को लेकर स्वतः संज्ञान लिया था। इस हादसे में, 135 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हो गए थे।