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उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव मामला: समाजवादी पार्टी के विधायक ने भी SC में दाखिल की याचिका

Supreme court

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव मामले में अब समाजवादी पार्टी के विधायक और नेताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर दी है। समाजवादी पार्टी के विधायक राम सिंह पटेल समेत 7 सपा नेताओं ने याचीका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले को चुनोती दी है।
प्रतापगढ़ जिले के पट्टी विधानसभा से सपा विधायक राम सिंह पटेल ने याचीका में मांग की है कि स्थानीय निकाय चुनाव OBC रिजर्वेशन के साथ ही कराया जाए साथ ही बिना OBC रिजर्वेशन के चुनाव कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के फैसले पर रोक लगाई जाए।
वही उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल उत्तर प्रदेश सरकार की याचीका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा।

सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की मेंशनिंग की और मंगलवार को मामले को सूचीबद्ध करने की मांग की। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो बुधवार को मामले की सुनवाई करेंगे।

उत्‍तर प्रदेश निकाय चुनावों को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के खिलाफ योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल किया है। सरकार के सूत्रों की मानें तो ओबीसी आरक्षण के साथ नगर निकाय चुनाव सरकार कराना चाहती हैं। सूत्र यह भी बता रहे है कि सीएम योगी के आदेश पर आयोग गठित कर दिया गया है।

दरसअल लखनऊ हाईकोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए साफ कहा निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जाएंगे। हाईकोर्ट ने कहा जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्‍ट ना हो तब तक आरक्षण नहीं किया जाए। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच आज उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर दाखिल याचीका पर फैसला सुनाया है। 24 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर दाखिल याचीका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हाई कोर्ट रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

राज्य सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव के मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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