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अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटिन कोर्ट में गरजी मेधा पाटकर, दिल्ली के LG को ‘गवर्नर’ जैसी इम्युनिटी नहीं मिल सकती

LG VK Saxena, Medha Patkar

सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटकर ने हाल ही में गुजरात की एक अदालत में कहा है की दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना का पद किसी राज्य के राज्यपाल के बराबर नहीं है। उन्हें किसी प्रकार का विशेष प्रतिरक्षा कवच ( इम्युनिटी) नहीं दी जा सकती। दरअसल दिल्ली के एलजी की ओर से गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि जिसमें मांग की गई है कि 2002 में उनके खिलाफ मुकदमे को संविधान के तहत प्रदान की गई प्रतिरक्षा के आधार पर स्थगित रखा जाए। मेधा पाटकर ने इसी बात का विरोध अदालत में किया था।

अहमदाबाद में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पीसी गोस्वामी की अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है। अदालत के समक्ष श्री सक्सेना की याचिका के जवाब में मेधा पाटकर ने जोर देकर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत कुछ शीर्ष पदाधिकारियों को प्रदान की गई छूट उन्हें उपलब्ध नहीं है। मामले की अगली सुनवाई अब 15 मार्च को होगी।

श्री सक्सेना, मई 2022 में दिल्ली एलजी बने थे।नर्मदा बांध परियोजना का विरोध के दौरान सुश्री पाटकर पर कथित हमले के एक मामले में 3 अन्य लोगों के साथ वो सह आरोपी हैं।

पिछले सप्ताह दायर एक आवेदन में, श्री सक्सेना ने संविधान के अनुच्छेद 361 के प्रावधानों का हवाला देते हुए, उपराज्यपाल के पद पर रहने तक उनके खिलाफ मुकदमे को स्थगित रखने के लिए अदालत से गुहार लगाई थी।

सुश्री पाटकर ने कहा कि श्री सक्सेना का आवेदन पूरी तरह से “गलत” है और केवल कार्यवाही में और देरी करने के लिए दायर किया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत प्रदान की गई छूट एलजी के लिए उपलब्ध नहीं है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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