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भारतीय न्यायप्रणाली में आरक्षण नीति नहीं, मगर कॉलेजियम में सभी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व जरूरी

Kiren Rjijju

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में न्यायपालिका में आरक्षण पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में भारतीय न्यायपालिका में कोई आरक्षण नीति नहीं है। बावजूद इसके उन्होंने कॉलेजियम से उन लोगों को शामिल करने के लिए कहा, जिनका सिस्टम में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान, डीएमके नेता तिरुचि शिवा ने जजों की नियुक्ति में आरक्षण नीति शुरू करने की संभावना पर सरकार विचार करेगी या नहीं, इससे संबंधित मामला उठाया था।

रिजिजू ने कहा, मौजूदा नीतियों और प्रावधानों के अनुसार, भारतीय न्यायपालिका में कोई आरक्षण नहीं है।

मंत्री ने कहा, मैंने सभी न्यायाधीशों और विशेष रूप से कॉलेजियम के सदस्यों को याद दिलाया है कि वे पिछड़े समुदायों, महिलाओं और अन्य श्रेणियों के सदस्यों को शामिल करने के लिए नामों की सिफारिश करते समय इसे ध्यान में रखें, जिनका भारतीय न्यायपालिका में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

टीएमसी सदस्य जवाहर सरकार ने न्यायपालिका के साथ मतभेदों और वर्तमान में खाली पड़े उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के 127 प्रस्तावों पर मंत्री से सवाल किया।

सरकार ने पूछा, इन प्रस्तावों पर कब विचार किया जाएगा।

रिजिजू ने जवाब दिया, विभिन्न उच्च न्यायालयों में 210 रिक्तियां हैं। रिक्तियों के संदर्भ में, मैं कह सकता हूं कि एक बार जब उच्च न्यायालय के तीन सदस्यीय कॉलेजियम द्वारा नामों की सिफारिश कर दी जाती है, तो यह निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ती है। ये 210 नाम, जो वह पूछ रहे हैं, हमें कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, इसलिए न्यायपालिका के साथ किसी तरह के तीखे मतभेद का सवाल ही नहीं उठता।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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