रोडरेज के एक मामले में महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव की अदालत ने एक मुस्लिम व्यक्ति को दोषी करार दिया लेकिन सजा के तौर पर उसे जेल भेजने के बजाए 21 दिन तक पांचों वक्त की नमाज पढ़ने और दो पेड़ लगाने की सजा दी है। अदालत ने कहा कि दोषी अपनी सजा पूरी करने के सबूत भी पेश करेगी।
माले गांव के मजिस्ट्रेट तेजवंत सिंह संधू ने हाल ही में पारित आदेश में कहा है कि प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट के प्रावधानों ने एक मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया है कि वह किसी दोषी को सलाह या उचित चेतावनी देकर रिहा कर सकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह अपराध को नहीं दोहराएगा।
अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में केवल चेतावनी ही काफी नहीं होगी और यह महत्वपूर्ण है कि दोषी अपने आरोपों को याद रखे, ताकि वह इसे न दोहराए। आदेश में कहा गया है कि मेरे अनुसार, उचित चेतावनी देने का मतलब यह समझना है कि अपराध किया गया था और आरोपी को दोषी पाया गया है। कोर्ट ने कहा आरोपी इसे याद रखे, ताकि वह फिर से अपराध न दोहराए।
दरअसल, 30 वर्षीय रऊफ खान पर 2010 के एक मामले में एक व्यक्ति पर कथित तौर पर हमला करने और सड़क दुर्घटना के विवाद में उसे चोट पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने उसे इस मामले में दोषी ठहराते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान खान ने कहा था कि वह नियमित नमाज नहीं पढ़ रहा है। इसे देखते हुए कोर्ट ने उसे 28 फरवरी से शुरू होकर 21 दिनों तक दिन में पांच बार नमाज अदा करने और सोनापुरा मस्जिद परिसर में दो पेड़ लगाने और पेड़ों की देखभाल करने का आदेश दिया है।
रऊफ खान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 325 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।