मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सदस्य था। विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के न्यायाधीश राजेश कटारिया ने कहा कि यह मानने के लिए उचित आधार थे कि नवलखा के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही है। अदालत ने कहा कि “पूरक चार्जशीट और अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि नवलखा प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सक्रिय सदस्य है और वह उक्त संगठन के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में गतिविधियों को अंजाम देता है। नवलखा के घर की तलाशी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से विभिन्न दस्तावेज जब्त किए गए हैं। चार्जशीट के साथ पेश किए गए दस्तावेज अपराध में उसकी सक्रिय संलिप्तता और साजिश में भागीदारी को दर्शाते हैं, यह भी दर्शाता है कि उसने अन्य आरोपियों के साथ हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी लिया था।’
सत्र अदालत ने चार्जशीट पर भी विचार किया, जिसमें नवलखा और कश्मीरी अलगाववादी सैयद गुलाम नबी फई के साथ-साथ पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) जनरल के बीच संबंध का खुलासा हुआ। नवलखा की ज़मानत अर्ज़ी को ख़ारिज करते हुए, अदालत ने टिप्पणी की करते हुए कहा “सामग्रियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए, नवलखा की भूमिका को मामले में सह-अभियुक्तों की भूमिका से अलग नहीं किया जा सकता है और यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि नवलखा के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं।” अगस्त 2018 में, मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) के पूर्व सचिव नवलखा को गिरफ्तार किया गया था। 10 नवंबर, 2022 को शीर्ष अदालत ने एक महीने के लिए हाउस अरेस्ट पर लौटने के उनके अनुरोध को मंजूर कर लिया। 13 दिसंबर को इसे बढ़ा दिया गया था।
वह वर्तमान में नवी मुंबई के ठाणे जिले में रह रहा हैं। 5 सितंबर, 2022 को विशेष एनआईए अदालत द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि जमानत अर्जी पर विशेष अदालत के समक्ष नई सुनवाई की आवश्यकता है और मामले को वापस भेज दिया था।