महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश बी.डी. शेल्के ने मुंबई सेंट्रल जेल के अधिकारियों को आदेश दिया कि वे स्कैनर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके व्यक्तिगत तलाशी लें।
पीठ ने कहा कि ”निश्चित तौर पर अंडर ट्रायल प्रिजनर्स (UTP) को नग्न कर तलाशी लेना उनके निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, यह अपमानजनक भी है।’इतना ही नहीं बल्कि असंसदीय भाषा या गंदी भाषा का इस्तेमाल करना भी UTP के लिए अपमानजनक है।”
विशेष पीठ 1993 के मुंबई बम धमाकों के एक आरोपी एकेएस (परिवर्तित नाम) द्वारा दायर एक शिकायत पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें व्यक्तिगत तलाशी लेने के लिए स्कैनर का उपयोग करने के लिए जेल अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
जज शेल्के ने यह भी कहा कि “यदि स्कैनरया इलेक्ट्रॉनिक गैजेट उपलब्ध नहीं हैं उसी परिस्थिति में यूटीपी की शारीरिक रूप नग्न कर जांच करने की आवश्यकता है मगर यूटीपी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना है, यूटीपी को अपमानित नहीं करना है, यूटीपी को नग्न नहीं करना है, गंदी भाषा या असंसदीय भाषा का उपयोग नहीं करना है।
एडवोकेट फरहाना शाह के अनुसार, जब एकेएस को अदालत में पेश होने के बाद वापस जेल ले जाया जाता है, तो प्रवेश द्वार पर सर्च गार्ड बॉडी चेक-अप करने के दौरान अन्य कैदियों और स्टाफ सदस्यों के सामने उसे नंगा कर देता है। जब उसने विरोध किया तो गार्ड ने उसके साथ बदसलूकी की, अपमानित किया और धमकी दी।
मुंबई केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि जेल अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए एक झूठा आवेदन दायर किया गया था।
अदालत ने कहा कि अन्य विचाराधीन कैदियों ने भी सर्चिंग गार्ड के खिलाफ इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी।
नतीजतन, विशेष न्यायाधीश ने गार्ड को आवेदक को अपमानित किए बिना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके जांच करने का आदेश दिया।