मुंबई की एक अदालत ने हाल ही में एक 8 वर्षीय बच्चे की मां को कस्टडी देने से इस आधार पर इनकार कर दिया कि वह खुद एक पेइंग गेस्ट के रूप में रह रही है इसलिए बच्चे की देखभाल करने की स्थिति में ठीक से नहीं कर पाएगी।
मामले की सुनवाई करते हुए सत्र न्यायाधीश एसएन साल्वे ने यह भी कहा कि पिता संयुक्त परिवार में रह रहे थे। संयुक्त परिवार में बच्चे की देखभाल ठीक ढंग से हो सकती है।
जज ने तर्क दिया, “अपीलकर्ता मां एक कामकाजी महिला है, पिता भी एक कामकाजी व्यक्ति है लेकिन संयुक्त परिवार में रह रहा है जबकि मां पेइंग गेस्ट के रूप में रह रही है। मां काम पर जाएगी तो बच्चे की देखभाल कौन करेगा।”
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत दायर उसके आवेदन पर फैसला करते समय उसकी अंतरिम हिरासत देने से इनकार करने के बाद मां ने सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
महिला ने दावा किया था कि जब उसने 2010 में शादी की थी, तब चीजें ठीक चल रही थीं। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसके पति के परिवार का उसके प्रति व्यवहार बदल गया।
महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि 2019 में ससुराल वाले उसके बच्चे को उठा ले गए और उसे घर से निकल जाने को कहा।
सेशन कोर्ट में महिला की अपील में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट ने मां को बच्चे की कस्टडी से इनकार करते हुए यह मानने में विफल रहे कि बच्चे की उम्र 5 साल से कम थी।
सत्र न्यायाधीश ने महिला द्वारा लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोपों के जवाब में पिता द्वारा दायर हलफनामे पर ध्यान दिया।
सत्र न्यायाधीश ने मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि आरोपों पर विचार करते हुए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने ठीक ही कहा कि इस स्तर पर बेटी की कस्टडी महिला को सौंपना न्यायोचित और उचित नहीं होगा।