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भीमा कोरेगांवः बरवरा राव को नहीं मिली हैदराबाद जाने की इजाजत, डिवीजन बेंच में दाखिल करेंगे याचिका

Barbara Rao, Bhima Koregaon

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बरवरा राव से कहा है कि वो मोतियाबिंद की सरजरी मुंबई से बाहर कराने की अनुमति के लिए डिवीजनल बेंच के सामने याचिका दाखिल करें।
बॉम्बे उच्च न्यायालय की एकल बेंच के न्यायाधीश एसवी कोटवाल ने प्रकरण देखा और पाया कि राव द्वारा आवेदन उनकी जमानती शर्तों को संशोधित करने के लिए था, किंतु वो मुंबई नहीं छोड़ सकत थे।
सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अभियुक्त पी वरवरा राव को मुंबई से हैदराबाद जाकर कटरेक्ट सर्जरी करवाने की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय के विभागीय बेंच के पास जाने के लिए निर्देश दिए।

“दोनों पक्षों के वकीलों की सहमति हैं इस बात पर थी कि याचिका में की गई प्रार्थनाएं आवेदक को दी गई जमानत को संशोधित करने के लिए हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित किए गए कानून के अनुसार ऐसा मामला केवल विभाजन बेंच ही निर्णीत कर सकती है। अब यह मामला न्यायाधीश एएस गडकरी के नेतृत्व में विभाजन बेंच द्वारा सुना जाएगा।
बारबराव राव को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और मार्च 2021 तक न्यायिक हिरासत में रहा थे उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा चिकित्सा के आधार पर अस्थायी जमानत दी गई थी।

आदेश में से एक शर्त थी कि राव मुंबई के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय अनुमति के बिना मुंबई से नहीं छोड़ सकते।  वर्तमान याचिका में राव ने यह दावा किया कि मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है और उनका कटरेक्ट बढता जा रहा है। उन्होंने यह दावा किया कि मुंबई में सर्जरी और ऑपरेशन की देखभाल महंगी होती है, जबकि तेलंगाना राज्य में पेंशन होल्डर के लिए यह मुफ्त होती है।
27 अप्रैल 2013 को, उच्च न्यायालय ने एनआईए से राव के दावे और तेलंगाना भेजने पर एऩआईए से पूछा था कि क्या राव को भेजा जा सकता है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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