बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने एक 31 वर्षीय व्यक्ति को उसके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले से बरी करते हुए कहा सहमति से बनाए गया संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। जब महिला स्वेच्छा से रिश्ते में हो तो यह कथित तौर पर शादी का झांसा देकर बलात्कार का अपराध नहीं बनता है।
न्यायमूर्ति एम डब्ल्यू चंदवानी की एकल पीठ ने हाल ही में पारित एक आदेश में कहा कि प्रतिवादी पुरुष ने केवल शादी के वादे को तोड़ा है, महिला को उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए शादी का झांसा नहीं दिया गया था। अदालत ने कहा, “वादा तोड़ने और झूठा वादा पूरा न करने में अंतर है।”
33 वर्षीय महिला ने 2019 में नागपुर पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर में दावा किया था कि वह 2016 से उस व्यक्ति के साथ रिलेशनशिप में थी। दोनों लोग शादी करना चाहते। इस दौरान दोनों ने शारीरिक संबंध भी बनाए थे।
जब महिला को पता चला कि उस व्यक्ति की किसी और महिला से सगाई हो गई है तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी।
इस एफआईआर के खिलाफ आरोपी याचिकार्त ने कोर्ट को बताया कि वो शिकायतकर्ता महिला से शादी करने का इरादा रखता था, लेकिन महिला ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उससे कहा कि वह किसी और से शादी करेगी। वहीं आरोपी याचिकाकर्ता के परिवार वालों ने भी इस रिश्ते को नामंजूर कर दिया। जिसके बाद उसने दूसरी महिला से सगाई कर ली।
शिकायतकर्ता महिला ने क्रोधवश एफआईआर दर्ज करवा दी इतना ही नहीं उसने भी 2021 में किसी अन्य पुरुष से सगाई भी कर ली।
अदालत ने कहा कि पीड़िता एक परिपक्व वयस्क थी और कहा कि उसके द्वारा लगाए गए आरोप इस बात का संकेत नहीं देते कि उस व्यक्ति का उससे शादी करने का वादा झूठा था। अधिक से अधिक, यह परिस्थितियों के कारण वादा पूरा न करने या उल्लंघन का मामला है, जिसे आवेदक (अभियुक्त) ने पहले से नहीं सोचा था या जो उसके नियंत्रण से परे थे क्योंकि वह पीड़िता से शादी करने में असमर्थ था, बावजूद इसके ऐसा करने का हर इरादा है।
अदालत ने आगे कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि रिश्ते की शुरुआत के बाद से, आदमी का पीड़िता से शादी करने का कोई इरादा नहीं था और उसने केवल शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए झूठा वादा किया था। अदालत ने कहाकि आरपी याचिकाकर्ता के तर्कों में वजन है और यह साबित करने के पर्याप्त आधार हैं कि उसने शिकायतकर्ता महिला को झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए थे। इसलिए उस पर बलात्कार का आरोप नहीं बनता है।