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पिता ने बच्चे की कस्टडी के लिए दायर की हैबियस कॉर्पस, कोर्ट ने मां के खिलाफ जारी कर दिए नॉन बेलेवुल वारंट

Karnataka High Court

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महिला के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और पुलिस आयुक्त, बेंगलुरु को आदेश दिया कि अदालत के निर्देशानुसार अपने नाबालिग बच्चे की हिरासत उसके पिता को न सौंपने के आरोप में उसे गिरफ्तार को अदालत में पेश किया जाए।

पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव और न्यायमूर्ति सीएम पूनाचा की अवकाश पीठ ने कहा, “यह एक ऐसा मामला है जिस पर मां व्यवहार पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है। कोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई 9 मई, 2023 को निर्धारित है।

फ़ैमिली कोर्ट ने दिनांक 03.03.2022 को याचिकाकर्ता डॉ. राजीव गिरी की संरक्षकता याचिका को मंज़ूरी दे दी और प्रतिवादी-माँ को एक महीने के तक बच्चे की देखभाल करने का आदेश दिया। इसके बावजूद, यह आदेश का पालन एक वर्ष तक नहीं किया गया।

महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी, जिसने 31 जनवरी, 2023 के एक फैसले में अपील को खारिज कर दिया और हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका भी खारिज कर दी गई।

उच्च न्यायालय ने यह देखने के बाद कि वह अपने बच्चे की भलाई के बजाय अपने काम और अवैध संबंधों के लिए अधिक चिंतित है, यह आदेश दिया कि वो बच्चे को पिता की संरक्षा में सौंप दे।

लोक अभियोजक वी.एस. हेगड़े ने अदालत को बताया कि पुलिस के प्रयासों के बावजूद, वे मां का पता नहीं लगा पाए हैं और उसके दिल्ली में होने का संदेह करने के कई कारण हैं। पुलिस द्वारा दर्ज की गई स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, उसे नोटिस देने के प्रयास विफल रहे क्योंकि उसने अपना आवास स्थानांतरित कर लिया था और अब वह अपने कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। अदालत को बताया गया, “विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों (एफआरआरओ) को सूचित कर दिया गया है और एक लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया है।”

नतीजतन, अदालत ने आदेश दिया कि गैर-जमानती वारंट को निष्पादित करते समय, यदि प्रतिवादी संख्या 3 यानी मांं कर्नाटक के अलावा किसी अन्य अधिकार क्षेत्र में है, तो सक्षम पुलिस अधिकारियों को प्रतिवादी मां के खिलाफ को जारी किए गए गैर-जमानती वारंट के प्रति के साथ सहयोग करने का आदेश दिया जाता है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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