खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह के साथियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकील को कहा कि पहले अदालत में वह यह साबित करें की यह सभी कैदी जिन पर एनएसए लगाया जा चुका है, उनको लेकर बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हेबियस कॉर्पस )
कैसे दायर की जा सकती है? अदालत ने वकील से पूछा कि आप 10 याचिकाएं दायर कर चुके है, लेकिन अभी तक यह नहीं बता पाए कि बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका कैसे सुनवाई योग्य है।
वही डिब्रूगढ़ जेल की अधीक्षक को पक्षकार बनाये जाने पर भी हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कैदी असम की जेल मे हैं तो याचिका यहां कैसे दायर की जा सकती है? अदालत ने वकील से कहा कि आप असम जाएं या सुप्रीम कोर्ट। अदालत ने इन टिप्पणियों के साथ याचिकाकर्ता के वकील को कहा कि 11 अप्रैल मामले की अगली सुनवाई होगी, तब उन्हें यह बताना है कि उनकी याचिका कैसे सुनवाई योग्य है।
अमृतपाल सिंह के साथी बलवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके सहित पांच लोगों की याचिकाओं पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इन सभी ने एनएसए के लगाने के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की है।