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फर्द गिरफ्तारी में कारणों का उल्लेख करे जांच अधिकारी- इलाहाबाद हाईकोर्ट

allahabad HC

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी के मामलों में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारी या जांच अधिकारी को किसी भी वांछित की गिरफ्तारी करते समय फर्द गिरफ्तारी में उसके कारणों को दर्ज करना आवश्यक है। उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 और 41 ए की प्रक्रिया का भी पालन करना होगा, जिसमें संज्ञेय या असंज्ञेय अपराधों के मामले में गिरफ्तारी का उल्लेख किया गया है।

न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने कन्नौज की याची राजकुमारी की याचिका को निस्तारित करते हुए यह फैसला दिया। याची के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मुकदमा लिखा गया था। एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग करते हुए याची ने दलील दी कि मुकदमे की सभी धाराएं सजा सात साल से कम सजा वाली हैं और उसे गलत फंसाया गया है।

याची ने यह दलील भी दी कि पुलिस अधिकारी सीआरपीसी की धारा 41 और 41ए के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्य हैं। प्रावधान है कि पुलिस अधिकारी किसी की गिरफ्तारी करते समय उसके कारणों को लिखित रूप में दर्ज करेंगे। उसने सुप्रीम कोर्ट के विमल कुमार और अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया।

इस पर हाईकोर्ट ने भी कहा कि पुलिस अधिकारी इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पूरी तरह से लागू होते हैं। लिहाजा, मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाए।

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About the Author: Yogdutta Rajeev

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