कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गुरुवार को जनता दल (सेक्युलर) के विधायक गौरीशंकर को अयोग्य घोषित कर दिया, हालांकि, किंतु प्रतिवादी के वकील के अनुरोध पर उच्चन्यायालय ने राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रतिवादी को मौका दिया है कि वो एक महीने के भीतर इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है तब यथा स्थिति बनी रहेगी।
गौरीशंकर को आदेश के एक महीने के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी होगी और उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगवानी होगी। उच्च न्यायालय का यह कदम कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक झटका है, जिसकी तारीखों की घोषणा इस सप्ताह की गई है। गौरीशंकर तुमकुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
जेडीएस विधायक को 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले वोट हासिल करने के उद्देश्य से 32,000 वयस्कों और 16,000 बच्चों को कथित रूप से फर्जी बीमा पॉलिसी बांड वितरित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।
आवेदन भाजपा नेता सुरेश गौड़ा द्वारा दायर किया गया था जिन्होंने आरोप लगाया था कि गौरीशंकर ने फर्जी बॉन्ड प्रलोभन देकर अवैध रूप से चुनाव जीता था। उन्होंने अदालत से उनके विधायक पद को अमान्य करने का आग्रह किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता नलिना मेयगौड़ा ने सुरेश गौड़ा के लिए दलीलें पेश कीं। जैसे ही फैसला सुनाया गया, गौरीशंकर के वकील आर हेमंत राज ने विधानसभा चुनावों की घोषणा के मद्देनजर फैसले पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक अंतरिम याचिका दायर की।
खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया और 30 दिनों के लिए आदेश पर रोक लगा दी। चूंकि चुनाव उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था, गौरीशंकर को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जा सकता है। इसलिए, गौरीशंकर के पास 30 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का विकल्प है।