इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फैसला सुनाया है कि चुनाव के दौरान पुलिस बिना वैध कारण के लाइसेंसी बंदूकें जब्त नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन ने जिला कप्तानों और मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया कि वे केवल वैध उद्देश्यों के लिए लाइसेंस धारकों से आग्नेयास्त्र स्वीकार करें। यह फैसला लोकसभा चुनाव के लिए लाइसेंसी हथियार जमा करने के संबंध में अमेठी के रविशंकर तिवारी समेत पांच व्यक्तियों की याचिका के जवाब में आया।
25 फरवरी, 2022 को पिछले फैसले के बावजूद, अधिकारी अक्सर आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, जिससे अदालत को भविष्य में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ संभावित कार्रवाई की चेतावनी जारी करनी पड़ी। 543 सीटों वाले लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से सात चरणों में होंगे और वोटों की गिनती 4 जून को होगी। पुलिस कानून व्यवस्था को सही बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर शस्त्रों और शस्त्र के लाइसेंस चुनाव अवधि के लिए जमा करवा लेती थी। मगर, 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन को ऐसा करने से मना किया था।