![बिहार में जातिगत जनगणना का मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट: नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग](https://hindi.legally-speaking.in/wp-content/uploads/2023/01/bihar-1-880x528.webp)
बिहार में जातिगत जनगणना का मामला देश की सबसे बड़ी अदलात में पहुँच गया है। बिहार के नालंदा के रहने वाले अखिलेश कुमार ने याचीका दाखिल कर 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि संविधान के तहत किसी राज्य जातिगत को जनगणना का अधिकार नहीं है।1948 के जनगणना अधिनियम के तहत भी राज्य सरकार को जनगणना का अधिकार भी नहीं दिया गया है।राज्य सरकार का यह कदम सामाजिक वैमनस्य को भी बढ़ावा देने वाला है साथ ही जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
इस याचिका में 2017 में अभिराम सिंह मामले में आए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है की इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जातीय और सांप्रदायिक आधार पर वोट मांगना गलत है,लेकिन बिहार में राजनीतिक कारणों से जातीय आधार पर समाज को बांटने की कोशिश हो रही है।
बिहार में महागठबंधन सरकार ने 7 जनवरी को जातिगत जनगणना शुरू किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह कवायद समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए मददगार साबित होगी।