जस्टिस संजय किशन कौल और अभय श्रीनिवास ओका की बेंच उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगी, जिसमें हल्द्वानी में 29 एकड़ रेलवे भूमि को खाली करने का आदेश दिया गया था, जिससे 4,000 से अधिक परिवार प्रभावित हो रहे हैं।
बुधवार को उत्तराखंड के हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास रेलवे की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हुई है। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ से बुधवार को याचीका पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा इस मामले में दूसरी याचिकाएं जो सुनवाई के लिए गुरुवार को सूचीबद्ध है उनके साथ इस याचिका पर भी सुनवाई करेंगे।
अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 4000 से अधिक परिवारों को घर खाली करने का नोटिस देने के मामले में
हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी गयी है। शराफत खान जो इसी कॉलोनी में रहते है उन्होंने यह याचिका दाखिल की है।
दरअसल उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद रेलवे ने ये फैसला किया है कि नोटिस के बाद घर खाली करने के लिए 7 दिन का समय दिया जायेगा। शहर में रेलवे कि 29 एकड़ ज़मीन से 4000 से अधिक अतिक्रमणकारियो को हटाया जायेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार नैनीताल के जिले अधिकारियो ने कहा कि अतिक्रमित भूमि से 4365 अतिक्रंमण हटाये जायेंगे। अतिक्रमणियों में से कुछ दशकों में से वह रह रहे है और अदालत के आदेश का विरोध कर रहे है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रेलवे अधिकारियो ने रेलवे कि 22 किलोमीटर कि लम्बी पट्टी पर बने घरो और अन्य ढांचों को गिराने कि प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। अतिक्रमणकारियों से लाइसेंसी हथियार जमा करने को कहा गया है।
इज़्ज़त नगर के रेलवे प्रो राजेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा था कि “लगभग 10 दिन पहले हल्द्वानी में रेलवे कि भूमि पर सभी अतिक्रमणो को हटाने के लिए हाई कोर्ट का फैसला आया। 4365 अतिक्रमण है और हम स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से नोटिस देंगे और यह रहने वालो को शिफ्ट करने के लिए 7 दिन का समय दिया जायेगा। उसके बाद हम कार्यवाही करेंगे।