![Bihar Caste Census, Nitish Kumar, Bihar Govt](https://hindi.legally-speaking.in/wp-content/uploads/2023/01/Bihar-Cast-Census-880x528.webp)
बिहार में जातिगत जनगणना के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार यानी 20 जनवरी को सुनवाई करेगा। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। बिहार में जातिगत जनगणना के खिलाफ कुल तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुए है। अखिलेश कुमार,हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और एनजीओ “एक सोच एक प्रयास” ने याचिका दाखिल कर बिहार में जातिगत जनगणना के लिए 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है। इस मामले में पहली याचिका बिहार के नालंदा के रहने वाले अखिलेश कुमार दाखिल की है।याचिका में कहा गया है कि संविधान के तहत किसी राज्य जातिगत को जनगणना का अधिकार नहीं है।1948 के जनगणना अधिनियम के तहत भी राज्य सरकार को जनगणना का अधिकार भी नहीं दिया गया है।राज्य सरकार का यह कदम सामाजिक वैमनस्य को भी बढ़ावा देने वाला है साथ ही जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
इस याचिका में 2017 में अभिराम सिंह मामले में आए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है की इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जातीय और सांप्रदायिक आधार पर वोट मांगना गलत है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में राजनीतिक कारणों से जातीय आधार पर समाज को बांटने की कोशिश हो रही है।
हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता एवं एकता को तोड़ना चाहती है।