सुप्रीम कोर्ट 5 दिसंबर को असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा।
नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगी।
प्रावधान है कि जो लोग 1985 में संशोधित नागरिकता अधिनियम के अनुसार 1 जनवरी, 1966 को या उसके बाद, लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले बांग्लादेश सहित निर्दिष्ट क्षेत्रों से असम आए हैं और तब से असम के निवासी हैं, उन्हें इसके तहत खुद को पंजीकृत करना होगा। परिणामस्वरूप, प्रावधान असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने की कट-ऑफ तारीख 25 मार्च, 1971 तय करता है।
इससे पहले दो जजों की बेंच ने 2014 में इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था।
सुप्रीम कोर्ट गुवाहाटी स्थित एनजीओ द्वारा 2012 में धारा 6ए को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें इसे मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह असम में अवैध प्रवासियों को नियमित करने के लिए अलग-अलग तारीखें प्रदान करता है।